“Boonie Bears: Guardian Code” offers an interesting animation story of Bramble and Briar, who embark on an unknown journey to reunite with their mother. Along the way, they stumble across evil scientists, robotic monsters & a unique mom. The film goes back & forth giving viewers an idea on what happened on that fateful day. The film’s appealing messaging of being always positive and the importance of family bonds & environmental awareness gives it an interesting narrative
Directed by Yongchan Ling, The movie’s first half is comedic and adventurous as Briar and Bramble pose to be robots and encounter the menacing Scrap Rebel gang, with a maniacal Leonard (Chris Boike) as their leader. Through flashbacks, the narrative’s vibes & then shifts to delicate and emotional moments as the brothers escape to an island with a warrior bear, Urusa (Kally Khourshid), who reminds them of their mother.
The film keeps one guessing. The plot unfolds like a well-wrapped gift, revealing surprises and connections. Some might find it intricate, but others will appreciate the layers woven into the story.
The animation in this movie is like a colorful candy store for your eyes! The forest scenes, the quirky characters, and even the evil robot – everything pops off the screen.
The story unfolds as the narrative weaves across a range of emotions knitting cute moments of laughter & pain amidst its action scenes From the heartwarming flashbacks of bear brothers to the poignant reunion with their mother the film showcase a raw set of emotions which reflects & bonafides the universal experience of loss and longing.
Ratings : 2.5/5
A Tale of Grit and Resilience on the Face of Adversity – “Boonie Bears: Guardian Code”
फ़िल्म समीक्षा : 3 श्याने
निर्देशक : अनीस बारुदवाले
निर्माता : संजय सुंताकर
कलाकार : देव शर्मा, अनुप्रिया लक्ष्मी कटोच, असरानी, ज़रीना वहाब, मुकेश खन्ना, प्रियांशु चटर्जी, टिकु तलसानिया, राकेश बेदी, वृजेश हिरजी, हिमानी शिवपुरी, अर्जुमन मुगल, निशांत तंवर और कुणाल सिंह राजपूत, यारियां फेम देव शर्मा, अनुप्रिया लक्ष्मी कटोच, असरानी, ज़रीना वहाब, मुकेश खन्ना, प्रियांशु चटर्जी, टिकु तलसानिया, राकेश बेदी, वृजेश हिरजी, हिमानी शिवपुरी, अर्जुमंद मुगल, निशांत तंवर और कुणाल सिंह राजपूत की मुख्य भूमिका से सजी फिल्म ‘3 श्याने’ सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। निर्देशक अनीस बारुदवाले ने न सिर्फ इसका कुशल निर्देशन किया है बल्कि उन्होंने इसकी पटकथा भी लिखी है। वह एक अनुभवी डायरेक्टर हैं और यही अनुभव उनकी इस फिल्म के हर शॉट में झलक रहा है। डायरेक्टर ने आम आदमी से जुड़ी और आज के समय की कहानी इस फ़िल्म के माध्यम से सुनाई है और उसका फिल्मांकन कमाल का किया है। फ़िल्म में कॉमेडी और संगीत का बेहतरीन संगम किया गया है, जिसकी वजह से यह सिनेमा देखा जा सकता है।
यह फॅमिली एंटरटेनर म्यूज़िकल फ़िल्म भी है जो खूबसूरत लोकेशन पर फिल्माई गई है।
इस फ़िल्म की स्टोरीलाइन आकर्षक है। इन दिनों युवा जल्दबाजी में सफलता का स्वाद चखना चाहते हैं और इसके लिए वह शॉर्टकट रास्ते की ओर चल पड़ते है। 3 श्याने की कहानी भी ऐसे ही तीन लड़कों की है जो ग़लत रास्तों पे चले जाते हैं। बाद में क्या होता है आपको फ़िल्म देखनी होगी।
फ़िल्म के निर्माता संजय सुन्ताकर हैं. ए ए देसाई के कांसेप्ट पर बनी फिल्म एसएसएस फिल्म्स इंटरनेशनल -333 के बैनर तले रिलीज की गई है। विक्रम तनहा द्वारा लिखे गीतों को विक्रम एन विक्रम ने संगीत से सजाया है. फ़िल्म के गाने जावेद अली, ऋतु पाठक, बृजेश शांडिल्य और अर्पिता चक्रवर्ती ने गाए हैं।
फिल्म ‘3 श्याने’ दर्शकों का मनोरंजन करने का पूरा मसाला रखती है।
इस फ़िल्म का प्रोमोशन और पब्लिसिटी का काम किया है शब्बीर शेख के फार्च्यून लाइफलाइन मीडिया ऐंड एंटरटेनमेंट ने और इसे वर्ल्डवाइड रिलीज किया है लाइफलाइन इंटरप्राइजेज ने 300 से अधिक सिनेमाघरों में।
रेटिंग 3 1/2 स्टार्स
निर्देशक अनीस बारुदवाले की फ़िल्म “3 श्याने” बेहतरीन फैमिली एंटरटेनर है।
क्राइम फैक्ट्री – केके बिनोजी की एक बेहतरीन प्रयास
समीक्षा : बेहतरीन फिल्म
क्राइम फैक्ट्री – केके बिनोजी निर्देशित फिल्म अब एम्एक्स प्लेयर, हंगामा प्ले और वोडाफोन मूवीज पर स्ट्रीमिंग कर रही है। इस फिल्म ने सभी प्लेटफार्मों पर बहुत उच्च रेटिंग प्राप्त की, प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समारोहों में सात पुरस्कार, दो नामांकन और छह आधिकारिक चयन जीते।
रियल लोकेशंस:
मलिन बस्तियों में उपयोग किए जाने वाले वास्तविक लोकेशंस इस विषय को विश्वसनीयता प्रदान करते हैं। फिल्म का रंग और पृष्ठभूमि पुरस्कार विजेता विश्व सिनेमा द सिटी ऑफ गॉड से मिलता जुलता है लेकिन भारतीय पृष्ठभूमि में स्वदेशी रूप से स्थापित है।
दमदार एक्शन:
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता, बाहुबली -2 फेम एक्शन डायरेक्टर किंग सोलोमन ने इस शैली की अन्य फिल्मों पर बढ़त देते हुए फिल्म के एक्शन को भव्य तरीके से कोरियोग्राफ किया। रॉ एक्शन फिल्म को एक अद्भुत शैली में प्रस्तुत करता है।
संगीत:
संगीत – तेलुगु में विभिन्न बड़े बजट की फिल्मों के संगीत निर्देशक – सुनील कश्यप का है और यह अभी तक रिलीज़ होने वाली फ़िल्म लाइगर से भी जुड़े हैं। कश्यप का संगीत फिल्म का मजबूत बिंदु है जो फिल्म को भी बांधे रखता है।
फिल्म के मेकर्स:
क्राइम फैक्ट्री के लेखक-निदेशक, केके बिनोजी, जिन्हें जैक के नाम से जाना जाता है, टॉलीवुड की एक पटकथा और संवाद दिग्गज हैं, जिन्होंने तेलुगु में 20 से अधिक फीचर फिल्मों और कई सौ से अधिक टेलीविजन एपिसोड किया है। उन्होने राम गोपाल वर्मा और कृष्णा वमसी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है। बिनोजी की टाइट स्क्रीनप्ले और दमदार डायलॉग्स दर्शकों को बांधे रखते हैं। मलिन बस्तियों में एक फिल्म सेट होने के बावजूद, मुनाफ बलूच और संजोग सिंह द्वारा अपने बैनर सारा फिल्म फैक्ट्री के तहत निर्मित फिल्म में उच्च उत्पादन मूल्य हैं।
अभिनय:
प्रसिद्ध पृथ्वी थिएटर के दिग्गजों के साथ रंगमंच से कुछ शानदार अभिनेताओं का उपयोग करके, बिनोजी दर्शकों को बांधे रखने में सफल होते हैं।
फिल्म उद्योग की सबसे अच्छी आवाजों में से एक विजय राज़ फिल्म के लिए एक कथाकार के रूप में आते हैं, इसे एक उत्कृष्ट कृति में पिरोते हुए, फिल्म को एक कल्ट क्लासिक का दर्जा देते हैं।
कुशल निर्देशन की वजह से फ़िल्म “हम हम हैं” मनोरंजक मूवी बन गई है
फ़िल्म समीक्षा ; “हम हम हैं”
निर्माता ; देवेंद्र लाडे व प्रदीप राजभर
रेटिंग्स : 4 स्टार्स
लंबे समय के बाद दर्शकों को थियेटर में हिंदी फिल्म देखने को मिली है। हालांकि कोरोना बीमारी की दहशत के चलते लोग सिनेमाघरों से दूर ही रहना चाह रहे हैं लेकिन इन प्रतिकूल हालात में भी कुछ निर्माता रिस्क लेकर फ़िल्म रिलीज़ कर रहे हैं। फाइव फ्रेंड्स एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी फ़िल्म “हम हम हैं” के निर्माता देवेंद्र लाडे व प्रदीप राजभर ने हिम्मत दिखाते हुए दर्शकों के लिए फ़िल्म को थियेटर्स में रिलीज़ कर दिया है। उनका मानना है कि किसी को तो पहल करनी ही पड़ेगी और हमें उम्मीद है कि अच्छी फिल्म देखने के लिए दर्शक खतरे उठाकर भी आएंगे।
फिल्म “हम हम हैं” मनोरजंन से भरपूर है
जिसमें नकुल गिल, पेंटाली सेन, सन्दीप यादव, देवेंद्र लाडे, मुस्लिम खान, सविता पापले, प्रेम सिंह कंटूरिया आदि कलाकारों ने सशक्त अभिनय का परिचय दिया है। फ़िल्म हम हम हैं के निर्देशक बिजेंद्र एस गंगवार हैं जिनके कुशल निर्देशन में कहानी मनोरंजक तरीके से आगे बढ़ती है। निर्देशक ने हर एक्टर से बखूबी काम लिया है। कह नहीं सकते कि किसी के रोल को वेस्ट किया गया है।
फ़िल्म के कहानी लेखक अब्दुल गफ्फार खान, गीतकार मुस्लिम खान, संगीतकार एस पी सेन की तिकड़ी ने फ़िल्म के हर पक्ष पर अपनी मज़बूत पकड़ साबित की है। संगीत कर्णप्रिय है जिसे स्वर दिया है नितिन तिवारी, गौतम गांगुली, प्रिया सेन और सुनीता पवार ने। राजू शबाना खान, सुनील मोटवानी की कोरियोग्राफी काबिलेतारीफ है।
इस फ़िल्म की कहानी गांव के प्रधान के मंदबुद्धि लड़के के इर्दगिर्द घूमती है जो मास्टर जी की लड़की से प्यार करने लगता है। क्या लड़का उस लड़की का दिल जीतने में सफल होता है, यह जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी।
TAANASHAH – Rating 3.5 stars
This week see the release of a dacoit film which has already been critically acclaimed at several International Film Festivals. Once in a while comes a film on the dacoits like Mera Gaon Mera Desh, Sholay and the recently Gangs of Wasseypur. TAANASHAH promises to enter this elite list of Bollywood films on the dacoits.
Dilip Arya plays the protagonist Shiva whose father and sister are killed by the village Thakur, hence to avenge their death, Shiva kills the Thakur’s clan which leads to the police gunning for him. In his journey hiding from the cops, he comes in touch with a gang of dacoits.
Taanashah is loosely based on the life events of famous bandit Shiv Kumar Patel or Dadua. Shiv ruled the jungles of Bundelkhand uninterrupted for 28 and more years and by the time he was killed by STF in 2007, he had control over 14 MLA seats and he virtually decided who would rule UP next. The dreaded outlaw had evolved a powerful ecosystem with innumerable beneficiaries and no one dared go against him.
The dacoit Shiva is also revered by the village folk as he is like a village Robinhood. In the process, the local politician needs the dacoit’s help to win the election.
Then begins the game of betrayal and a web of politics and backstabbing.
Shot in real locations in Chitrakoot in UP, Mukesh Srivastava has written and produced this film that portrays the actual hinterland of India. Even today weapons are easily available in these places and one small mistake could erupt into rivarly in these ravines.
Astounding performance by Dilip Arya and the other cast. Each of the characters are perfectly selected, while the protagonist Daddu overshadows the film which has an earthy portrayals of the hinterlands of India.